मेरी प्रीत का
छुपा लो कितना भी
लबों पर आती प्रीत मेरी
कर लो कैद कितनी भी
दिल में प्रीत मेरी
कह देंगे सब कुछ
तेरे नयना
प्रीत मेरी .
भावनाओं को शब्द आकार देते हैं, जुबान कभी शब्दों को बयां नहीं कर पाती, उन पलों को सहेजना ही कविता हैं. अनकहें पलों और जज्बातों को उकेरना ही सुकून देता हैं. सच बोलने और सहने का साहस आज किसी में नहीं, बस इसीलिए जो महसूस करो, उसे उकेर दो कागज पर