शनिवार, 13 मार्च 2010

छुपा लो नयनों में ... प्रीत मेरी

नयन आइना हैं
मेरी प्रीत का
छुपा लो कितना भी
लबों पर आती प्रीत मेरी
कर लो कैद कितनी भी
दिल में प्रीत मेरी
कह देंगे सब कुछ
तेरे नयना
प्रीत मेरी .

शनिवार, 27 फ़रवरी 2010

अच्छा लगता हैं

सूरज उगता हैं
तेरा नाम लिए
मेरी सुबह होती हैं
तेरा नाम लिए
तू अपना हैं
या बेगाना
लेकिन अच्छा लगता हैं
पल दो पल तेरे संग
बिताना अच्छा लगता हैं
रोज तुझसे बहाने बनाकर
जाना अच्छा लगता हैं
बस इक झलक भी
तेरी पाना
अच्छा लगता हैं

मंगलवार, 23 फ़रवरी 2010

वजूद मेरा...इस झील सा

क़ैद हैं
वजूद मेरा
इस नशीली झील सा ।
न हलचल
शांत हैं
वजूद मेरा
इस निर्दयी झील सा ।
लील गयी
कितना जल
कितने अरमान
इस निर्मोही झील सा ।
शांत हूँ
दफ़न किये
लाखों अरमान
इस बेदर्द झील सा ।

शनिवार, 6 फ़रवरी 2010

उड़ जाऊंगा... दूर कही

उड़ जाऊंगा
दूर कहीं
इस नीले नभ में
खो जाऊंगा
फिर कहीं
इस नीले नभ में
उब गया हूँ
ऐ जिन्दगी
अब तुझसे
खो जाना चाहता हूँ
इसी नभ में
इक पाखी सा

शुक्रवार, 5 फ़रवरी 2010

तनहा हूँ मैं

तनहा हूँ मैं
संगी मेरे
तुझ बिन ।
इक पल
अंधियारी जिंदगानी में
झांक गए तुम
मीत मेरे
काटना ही हैं
सफ़र
मुझे तो तनहा
सुकून देता
कोई
बस इक पल का.

शुक्रवार, 29 जनवरी 2010

तुम न बोलो

चमक नयनों की
कह देगी
सब कुछ
तुम ना बोलो
मुस्कान
लबों की
रच देगी
सब कुछ
तुम ना बोलो
थिरकन
अंगों की
कह देगी
सब कुछ
तुम ना बोलो
सिंदूरी अबीर
लुढका हुवा
गालों पर
कह देगा
सब कुछ
तुम ना बोलो

सकुचाते.....हौले हौले


सकुचाते
हौले हौले
अपने क़दमों को आगे बढ़ाते
सकुचाते - शरमाते
मुझसे कितना कुछ छुपाते
धीमे से कुछ न कुछ कह ही जाते
तरसाते
तन्हाई में
पल पल याद आते
और तुम
मेरी आतुरता पर
बस मुस्करा जाते
तुमने सताया
फिर मैंने
एहसासों से तुझे
हकीक़त में
सामने पाया ।