चांदनी थिरकेगी
जब पूनम की रात
भुला सकोगे मुझे
दूर कहीं कोई चातक
करेगा पीहू पीहू
भुला सकोगे मुझे
लुभाएगा कोई मयूर
प्रेमिल नृत्य से प्रियतम को
भुला सकोगे मुझे
चला जाऊँगा दूर कहीं
किसी अनजानी राह पर
भुला सकोगे मुझे
भावनाओं को शब्द आकार देते हैं, जुबान कभी शब्दों को बयां नहीं कर पाती, उन पलों को सहेजना ही कविता हैं. अनकहें पलों और जज्बातों को उकेरना ही सुकून देता हैं. सच बोलने और सहने का साहस आज किसी में नहीं, बस इसीलिए जो महसूस करो, उसे उकेर दो कागज पर