सोमवार, 14 जुलाई 2008

दर्द शब्दों में ढले......


दर्द शब्दों में ढले

तो गीत होता हैं

भावना के सुर सजे

संगीत होता हैं

रूप की चाहत तो

तन के साथ हैं

बावरे मन का न कोई

मीत होता हैं

वे भी तो मेरे दोस्त थे



वे भी तो मेरे दोस्त थे

जो देते रहे फरेब

मोहब्बत के नाम पर

पहले आप

पहले आप
आप से तुम
तुम से तू
और फिर कहने की नहीं
समझने की बात हैं