मंगलवार, 22 सितंबर 2009

कब तलक.... तकु तेरी राह

आओगे
या यूँ ही
इंतज़ार में
मुझे तनहा
छोड़ जाओगे
बसंत गया
पतझड़ आया
लेकिन
तू न आया
आओगे कब
या यूँ ही सताओगे
राहो में मुझे
तनहा छोड़ जाओगे