बुधवार, 6 अगस्त 2014

तुम यहीं कहीं हो


भीड में
कहीं गुम
फिर भी
तलाशती निगाहें

आखिर तुम
सिर्फ तुम
फिर से आ बसे
नयनों में 

कोई नही
थे सिर्फ तुम
इस भीड मे भी