शुक्रवार, 18 जुलाई 2008

सपनो की नदी....

सपनों की नदी पर
हर रातबनता
एक पुल मैं।

गुजरती
तेरी यादों की रेल
और महसूसता
हर पल
उसकी थरथराहट को.

कोई टिप्पणी नहीं: