सोमवार, 9 फ़रवरी 2009

rishte.......

रिश्तों ने तो
विष ही घोला
रिश्ते - रिसते
चटके चटखे
भुला दिए सब
रिश्ते नाते
याद यही बस
संगी साथी

1 टिप्पणी:

हिमांशु ने कहा…

कभी कभी लगता हैं अलग अलग उम्र में एहसास भी ज़ुदा ज़ुदा होते होंगे लेकिन आपका ब्लाग देखकर लगता हैं एहसास उम्र के गुलाम नही होते है. एक ही एहसास को शिद्द्त से जींदगी भर जीया जा सकता हैं.
सपनों की नदी पर
हर रातबनता
एक पुल मैं।

गुजरती
तेरी यादों की रेल
और महसूसता
हर पल
उसकी थरथराहट को

बेहद उम्दा
हिमांशु
himrekha.blogspot.com