मंगलवार, 15 जुलाई 2008

टुकडा भर धुप

टुकडा भर धुप
और तेरा साथ
सहेजा था
मुट्ठी में.

मुट्ठी में बंधी रेत सा
कण कण
न जाने कहाँ
बिखर गया
और रह गयी
खाली खाली
मुट्ठी मुट्ठी मेरी
बस तेरा
एहसास लिए

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