भावनाओं को शब्द आकार देते हैं, जुबान कभी शब्दों को बयां नहीं कर पाती, उन पलों को सहेजना ही कविता हैं. अनकहें पलों और जज्बातों को उकेरना ही सुकून देता हैं. सच बोलने और सहने का साहस आज किसी में नहीं, बस इसीलिए जो महसूस करो, उसे उकेर दो कागज पर
गुरुवार, 17 जुलाई 2008
सपनो के जहाँ में
चलो सपनो के जहाँ में फ़िर चलते हैं किसी अपने से फ़िर मिलते हैं.... जहाँ न हों नजरें ज़माने की छुप छुपकर फ़िर तनहा सपनों में मिलते हैं.....
रोके न रुके ऐसा जहाँ सपनों की नदियाँ और कश्ती पर तनहा हम-तुम चलो सपनों में फ़िर मिलते हैं.....
1 टिप्पणी:
बेनामी
ने कहा…
राकेश जी इतने खूबसूरत ब्लॉग के लिए हार्दिक बधाई सपनों के जहाँ ख़ुद ही खूबसूरत होते हैं और फिर आपके शब्दों ने तो उसे में चार चाँद लगा दिए लिखते रहिये
1 टिप्पणी:
राकेश जी
इतने खूबसूरत ब्लॉग के लिए हार्दिक बधाई
सपनों के जहाँ ख़ुद ही खूबसूरत होते हैं
और फिर आपके शब्दों ने तो उसे में चार चाँद लगा दिए
लिखते रहिये
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