
कल कल कर
बहना ही हैं
नियति मेरी ।
कभी वीराने
तो कहीं महफिलों से
सज जाता मेरा तट
कहीं जश्न तो कहीं
मातम होता मेरे तट ।
छलक जाता
नयनों से नीर
नयनों से नीर
कभी खुशी और कभी गम का
घुल जाता मेरे संग
लेकर चलता, लेकर बहता
उन पलों को दूर कहीं
चलना मेरी नियति
तनहा तनहा
शायद हूँ में
साथी बस एक पल का
तनहा तनहा
तनहा तनहा
6 टिप्पणियां:
आपका हिन्दी चिट्ठाकारी में हार्दिक स्वागत है. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाऐं.
बढ़ते जाइये इस सफर में. स्वागत.
Kalam Ke Safar Ki niymit Jari Rakhe.
Fakeer Mohammad Ghosee
छलक जाता
नयनों से नीर
कभी खुशी और कभी गम का
घुल जाता मेरे संग
लेकर चलता, लेकर बहता
उन पलों को दूर कहीं
खुशी, गम और तन्हाई को समेटे अच्छी रचना ....स्वागत है आपका
Nice post u r most welcome at my blog
chalane ka naam hee jeevan hai. narayan narayan
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