तेरा नाम लिए
मेरी सुबह होती हैं
तेरा नाम लिए
तू अपना हैं
या बेगाना
लेकिन अच्छा लगता हैं
पल दो पल तेरे संग
बिताना अच्छा लगता हैं
रोज तुझसे बहाने बनाकर
जाना अच्छा लगता हैं
बस इक झलक भी
तेरी पाना
अच्छा लगता हैं
भावनाओं को शब्द आकार देते हैं, जुबान कभी शब्दों को बयां नहीं कर पाती, उन पलों को सहेजना ही कविता हैं. अनकहें पलों और जज्बातों को उकेरना ही सुकून देता हैं. सच बोलने और सहने का साहस आज किसी में नहीं, बस इसीलिए जो महसूस करो, उसे उकेर दो कागज पर