शुक्रवार, 5 फ़रवरी 2010

तनहा हूँ मैं

तनहा हूँ मैं
संगी मेरे
तुझ बिन ।
इक पल
अंधियारी जिंदगानी में
झांक गए तुम
मीत मेरे
काटना ही हैं
सफ़र
मुझे तो तनहा
सुकून देता
कोई
बस इक पल का.

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